प्रयत्न करने के बावजूद मानव जब निराश हो जाता है तो उस समय मनुष्य को श्रीमद्भागवत की शरण में आ जाना चाहिए। तभी उसको एक अनुभूति का अनुभव होने लग जाएगा।
श्रीमद्भागवत मे ही ज्ञान की गंगा है।