जीवात्मा का परमात्मा से मिलन ही महारास है। सभी गोपियां अपने पुत्र, भ्राता, पति, माता-पिता और घर-परिवार की लोक-लाज छोडकर बांके बिहारी सरकार के चरणों में समर्पित हो गई। प्रभु द्वारा परीक्षित की गईं। प्रभु ने उनसे कहा कि घर चली जाओ। पति से, घरवालों से प्रेम करो। तथापि गोपियां अपने घर नहीं गई। बोलीं- आपने बंशी बजाकर हमारे चित्त को खींच लिया है। हम आपकी हो गई हैं। अब हमें जाने को बोल रहे हैं। आप हमारे चित्त को वापस कर दें। हमारे मन आपमें लग गए हैं। हम जाना चाहते हुए भी नहीं जा पा रही हैं। तब परमात्मा ने प्रसन्न होकर महारास की अनुमति प्रदान कर दी। इसलिए भक्तों को परमात्मा से मिलने के लिए अपना सर्वस्व छोड उनके नाम का संकीर्तन करना होगा।