धन संपत्ति कितनी भी रहे उसके प्रति हमारा मोह बढता ही जाएगा। यह हमारे जीवन के लिए अहितकारी है।
जैसा मन में है वैसा ही मुख में होना चाहिए, लेकिन आज का संसारी प्राणी जैसा सोचता है वैसा करता नहीं। जीवन में शांति पाने के लिए हमें माया के मोह को छोडना होगा।