त्याग जब भी हमारे मन में आए, हमें तुलसी दास की तरह घर छोड देना चाहिए। त्याग को शांत होने का अवसर नहीं देना चाहिए।
यदि भगवान को पाना है तो तीन बातें जरूर याद रखें। एक रात के बाद किले में ही रहना, दूसरा स्वादिष्ट भोजन करना और तीसरा आराम दायक बिस्तर पर सोना।
किले मे रहने का तात्पर्य गुरु की संगत में रहने से है। गुरु की संगत से बढकर कोई दूसरा मजबूत किला नहीं है। इस किला के पहरेदार स्वयं भगवान है।
स्वादिष्ट भोजन करने से तात्पर्य जो भी मिले उसको खा लेना, जबकि आराम दायक बिस्तर का मतलब गद्दे का बिस्तर मिले या भूमि, हरि का नाम लेकर हर जगह सो जाए।