नारी ही संस्कारों की जननी है। नारी ने ही संसार को जन्म दिया व यह ही संसार को सुखी बना सकती है। उन्होंने कहा कि जहां नारी की पूजा होती है, वहां सुख, शांति व देवताओं का वास होता है।
भगवान की भक्ति ऐसी होनी चाहिए कि भक्त अपनी सुध बुध खो जाए। जैसे फूल में सुगंध, दूध में पानी विलीन हो जाते हैं, उसी प्रकार भगवान स्वयं भक्त की भक्ति के अधीन हो जाते हैं।