मन्त्र- शरीर- रक्षा, आरोग्य, शक्ति आदि के लिए बांदा की इस मन्त्र दुवारा सिद्ध करें :-
" ॐ नमो रुदाय मृतार्क मध्ये संस्थिताय मम शरीर अमृतं कुरु कुरु स्वाहा l "
मन्त्र - भोतिक - समृधि के लिए प्रयुक्त होने वाले बांदा को इस मन्त्र दुवारा सिद्ध करें :-
"ॐ नमो धनदाय स्वाहा l "
प्रयोग - बांदा को मन्त्र- सिद्ध कर लेने के पश्यात निम्नलिखित नश्त्र- क्रम से विविध उद्देश्यों की पूर्ति हेतु इस प्रकार प्रयुक्त किया जा सकता है l
अश्विनी - इसनक्षत्र के दिन (पहले से निमंत्रण देकर ) बेल के वृघ्स्य का बांदा लायें और उसकी विधिवत पूजाकरके , मन्त्र संख्या एक के दुवारा सिद्ध करें l उस बांदा को हाथ मे धारण कर लेने से साधक दूसरों की दृष्टि से अदेरिश्ये होने की शमता प्रयाप्त कर लेता है l समरण रहे कि प्रय्तेक प्रयोग मे बांदा को विधिवत सिद्धि कर लें l
भरणी:-
इस नक्षत्र मे बांदा- प्रयोग का प्रभाव अदभुत हैं l कपास का बांदा भी अद्रिश्यीकरण कि शक्ति प्रदान करता हैं l कुश का बांदा लाकर विधिवत पूजाकरके घर मे रखने से धन- धान्य कि वृद्धि होती है l
कृतिका:-
कृतिका नक्षत्र मे थूहर का बांदा धारण करने से वाक्शक्ति बढती है और केथ का बांदा मुंह मे रखने से आंशका नहीं रहती l
रोहिणी :-
इस नक्षत्र मे गूलर का बांदा विधिवत घर मे रखने से धन- धान्य कि वृद्धि होती है और बरगद का बांदा धारण करने से लोगो पर वशीकरण का प्रभाव पड़ता है l
मृगशिरा:-
सिंघोर के वृगश का बांदा इस नक्षत्र मे सिद्धकरके पान मे खाने से साधक को निराकारिणी- विधा (अद्रिश्ये होने कि शक्ति ) प्रयाप्त होती है , बेल का बांदा भी ऐसा ही प्रभाव रखता है , गोखरू, आम और सिंगोर- इन तीनो वृग्श्यो से बांदा लाकर उनमे नमक और दूध मिलाकर पिसें, इस लेपन का तिलक मस्तक पर लगाने से अज्ञात (गुप्त ) धन का बोध होता हैl
पुष्ये :-
यह नक्षत्र इमली के बांदा को प्रभावित करता है , उसे लाकर नियमानुसार सिद्धकरके हाथ मे धारण करें , और घर मे रखे तो श्री- समर्धि प्रयाप्त होती हैंl
चित्रा :-
इस नक्षत्र मे धावडी का बांदा सिद्धकरके पान मे खिलोने से प्रेमप्रसड मे सफलता प्रयाप्त होती हैl
स्वाति:-
हरड का बांदा राज़- सम्मान देता है, बेर का बांदा याचना मे अभीशत वस्तु कि प्रयापति कराता है , और नीम का बांदा अद्रिश्येकरण कि शक्ति प्रदान करता हैl
विशाखा :-
इन नक्षत्र मे महुआ का बांदा सिद्धकरके सिर पर धारण करने से शारीरिक क़ी वृद्धि होती हैl
अनुराधा:-
रेहितक वृष का बांदा लाकर धारण करने से शत्रु परास्त होता है कनेर का बांदा भी शत्रु-दमनकारी होता हैl
मूल :-
इस नक्षत्र मे खजूर का बांदा लाकर, भुजा पर धारण करने से शत्रु- दमन क़ी शक्ति बढती है l
पुर्वाषाड :-
इस नक्षत्र मे दूब का बांदा दांये हाथ मे बाँधने से व्यापार क़ी वृद्धि होती हैl
उतराषादा :-
इस नक्षत्र मे अशोक-वृक्ष का बांदा लाकर ताबीज मे धारण करें, अद्रिस्ये क़ी शमता देता हैl
शतभिषा :-
नक्षत्र मे सुपाली के वृह्स्य का बांदा गाये के दूध के साथ पीने से बुदापे का दमन होता हैl
अशलेषा:-
मे बकरी के दूध मे अर्जुन के वृक्ष का बांदा घिसकर, जिसके मस्तक पर तिलक किया जाये, वह वशवर्ती हो जाएगा, सोमवार के दिन यदि यह नक्षत्र हो तो बहेड़े का बांदा भण्डार मे रखने से समृधि होती है l
मधा:-
इस नक्षत्र मे बारहसिंगा का बांदा सिद्ध करने से घर मे धन-धान्ये क़ी प्रचुरता रहती है l
पूर्वाफाल्गुनी :-
मे बहेड़े का बांदा लाकर चुर्ण बना लें . इस चुर्ण के सेवन से भुत-प्रेत क़ी बाधा शांत हो जाती है, अनार तथा सेमर का बांदा घर मे रखने से धन- सम्पति क़ी वृद्धि होती हैl
उतराफाल्गुनी :-
इस नक्षत्र मे आम का बांदा धारण करने से घर-परिवार मे तथा सर्वत्र प्रेम बढ़ता है l
वनस्पति के विशिस्ट प्रयोग :-
(1) होली के दिन प्रात: नियमानुसार पलाश का बांदा प्रयाप्तकरके पूजनोपरांत उसे अन भडार मे रखने से समृधि होती हैl
(2) चन्द्रगहण या सुर्येग्रहण के दिन सुर्यदये के पूर्व ही गूलर जा बांदा लें, आंये , (प्रतेक बांदा को एक दिन पूर्व निमंतरण देना आवश्यक है ) फिर ग्रहण के समय उसको पंचोपचार पूजाकरके , ग्रहण-काल मे कमलगट्टा क़ी माला से " लक्ष्मी-गायत्री " मन्त्र का जप करें l ग्रहण समाप्यत होने पर (मोखास्य के पश्यात) उस बांदा को सोने के ताबीज मे धारण करें l यदि साधना निर्दोष (गद्दा हुआ) धन दृष्टीगोचर होगा l लक्ष्मी-गायत्री " का मन्त्र इस प्रकार है l
"ॐ महालक्षये च विहाहे विष्णुपत्त्न्ते च धीमहि तत्रो लक्ष्मी प्रचोदयात !!"
सफलता के लिए यह समस्त विधान पहले से भली-भांति समझ लेना चाहिए , ताकि साधना मे कोई विध्रे न आ सके l
(3) साधक किसी ऐसे शनिवार को, जबकि उसका चंद्रमा बलबान हो, और चुतर्थी, नवमी या चतुर्दशी तिथि हो, प्रात: सुर्येदया से पूर्व पीपल के पेड़ का बांदा ले आयेंl (एक दिन पूर्व संध्या को पुर्बोह्त विधि से निमंत्र्ण देकर ही बांदा लगाना चाहिए ) और घर मैं किसी एकात पवित्र स्थान मे रख दें l
बाद मे फिर कभी वैसा ही योग (बलबान चंद्रमा, शनिवार, और उपरोक्त कोई तिथि ) हो, तब उस बांदा की पूजाकरके ताबीज मे धारण करे. l यह तांत्रिक-प्रयोग अथरोपाजन का धवार उद्घाटित करता हैं l
सहदेवी की सिद्धियाँ :-
किसी रवि-पुष्ये योग के दिन प्रात: (पूर्व संध्या को विधिवत निमंत्रण देने के पश्यात) स्नात्रोप्रांत सहदेवी-पोधे के पास जाए और "ॐ हीं फट स्वाहा!"जपते हुए उसे उखाड़ लें l पोधो का पंचाद्द आवश्यक है. l फिर घर लें आये और पंचामृत से स्नान कराकर उसकी विधिवत धुप दीप से पूजा करे और तदुपरांत 21 बार नीचे लिखा मन्त्र पड़कर उस पर जल छिडक दें l इस विधि से वह पोधा तात्रिक- शक्ति से संपन ही जाता है l
मन्त्र :-
"ॐ नमो रूपावती सर्व प्रोतेती श्री सर्वजनरंजनी सर्वलोक वाशीकरणी सर्वसुखरंजनी महामाइल घोल थी कुरु कुरु स्वाहा"
तंत्र-सिधि सहदेवी का पोधा विभिन कार्यो मे प्रयुक्त होता है l
धन-वृद्धि के लिए :-
पोधो की जड़ को तिजारी मे रखने से येष्ठ धन-वृद्धि होती है l
सम्मोहन हेतु :-
इस पोधो की जड़ का अंजन लगाने से दृष्टी मे मोहक-प्रभाव उतपन होता है l
प्रसव-वेदना निवारक :-
इसकी जड़ तेल मे घिसकर जन्नेद्रिये पर लेप कर दें l अथवा स्त्री की कमर मे बांध दें , तो वह प्रसव-पीढा से मुक्त हो जाती हैं l
संतान-लाभ :-
यदि कोई स्त्री मासिक-धर्म से पांच दिन पूर्व तथा पांच दिन पष्चात तक गाये के घी मे सहदेवी का पंचाग सेवन करे तो अवश्य गर्भ सिथर होता है l
आकर्षण हेतु :-
पंचाग का चुर्ण पान मे रखकर खिलाने से वह व्यक्ति आक्रिस्थ (मोहित) होता है l
प्रभाव-वृद्धि:-
पंचाग का चुर्ण तिलक की भाति मस्तक पर कही जाए l तो दर्शको पर प्रभाव पड़ता हैl सुब लोग इसको सामान की दृष्टी से देखते है l
पतों के चमत्कार :-
तंत्राचायरो ने वर्षायो के शोध और अथक परिश्रम के दुवारा यह सिध्तान प्रतिपादित किया है कि यदि समय-विशेस किया जाये तो उसका आश्यचयरेजनक परिणम दिखाई पड़ता है l असंभव् हो जाते है l विभिन तंत्र ग्रथो मे वर्णित ऐसे पत्र-प्रयोगों से सहज - संभव हो जाते है l विभिन तंत्र ग्रथो मे वणरन ऐसे पत्र -प्रयोगों मे से कुश गिने-चुने प्रयोग यहाँ प्रसुत हैl
चूँकि वनस्पति गणना का कोई सर्वमान्य नियम नहीं है l अत: हम नक्षत्र क्रम से विभिन पोधो के पतों के तांत्रिक- प्रयोग लिख रहे है l साधक के लिए यह आवश्यक होगा कि वह किसी भी प्रयोग को व्यवहारिक रूप देने से पूर्व किसी योग्य व्यक्ति से भली-भांति विषय को समझ ले और मुहर्त तथा साधना के नियमो का पूर्णतया पालन करें l तंत्र- मन्त्र मे मुहर्त और नियम-पालन ही सफलता कि मूल आधार है l
अश्विनी -
जिस दिन अश्विनी नक्षत्र हो, उससे एक दिन पूर्व बेल के पेड़ को निमंतरण देकर, उसका पता (बिलब=पत्र ) लाकर, एक रंग कि गाये क्र दूध मे स्त्री को पिलाने से वह गर्भवती हो जाती है l
भरणी:-
इस नक्षत्र मे पान का पता लाकर, उसे सुपारी कथे से पूरा बीड़ा बनाये l यह बीड़ा चोरी वाले स्थान पर रख देने से चोरी गयी वस्तु का पता चल जाता है l
कृतिका :-
इस नक्षत्र मे पियाज का पता गाये के दूध मे पीसकर पीने से समस्त रोग शांत हो जाते है l
आद्र :-
इस नक्षत्र के दिन मतुड़ा पोधो का सबसे उपरी चोटी वाला पता लायें l उसे खेत मे रखने से पैदावार बढ जाती है l
पुष्ये :-
यह परम प्रभाव शाली नक्षत्र है l इससे विधिवत प्रयाप्त कि गयी शंखपुष्पी कि जड़ को चांदी कि डिब्बी मे रखकर, तिजोरी मे रखने से धन की वृद्धि होती है l चमेली की जड़ को ताबीज मे धारण करने से शत्रु पर विजय प्रयाप्त होती है l
अशलेशा :-
नक्षत्र के बरगद का पता लाकर अन- भडार मे रखने से लाभ होता है l
पूर्वाफाल्गुनी :-
इस नक्षत्र मे बहेदे का पता लाकर घर मे रखने से कोई तंत्र-प्रयोग (अभिचार, कर्म, झूठ आदि ) हानि नहीं पहुचाता l
हस्त:-
नक्षत्र मे रविवार के दिन (पवार) की जड़ लाकर हाथ मे धारण करने वाला वयक्ति धुत-क्रीडा (जुआ-खेलने ) मे विजयी होता है l
मूल:-
नक्षत्र मे ताड़ की जड़ लाकर धारण करने से पित-रोग शांत हो जाता है l
श्रवण :-
नक्षत्र के दिन बेंत का टुकड़ा लायें और दांये हाथ मे धारण कर लें l यह प्रयोग युद्ध मे विजयी बनाता है l इसी नक्षत्र मे प्रयाप्त काले अरंड की जड़ धारण करने वाली स्त्री संतानवती होती है l