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नमस्ते क्यूँ करते हैं

 

अधिकतर हिन्दू लोग जब किसी से मिलते हैं तो "नमस्ते " या " नमस्कार " कर के एक दुसरे का अभिवादन करते हैं ....अधिकतर लोगो को ये पता नहीं होता की वो नमस्ते क्यूँ करते हैं और इसका क्या अर्थ होता है ...पेश है उन्ही लोगो के लिए ये जानकारी ताकि जब अगली बार किसी से नमस्ते कहे तो कम से कम उन्हें उसका अर्थ अवश्य पता हो |

शास्त्रों में पाँच प्रकार के अभिवादन बतलाये गए है जिन में से एक है "नमस्ते " या "नमस्कार "।
नमस्कार को कई प्रकार से देखा और समझा जा सकता है। संस्कृत में इसे विच्छेद करे तो हम पाएंगे की नमस्ते दो शब्दों से बना है नमः + असते ।

नमः का मतलब होता है झुक गया और असते मतलब सर( अहंकार या अभिमान से भरा ) ...यानि मेरा अहंकार से भरा सर आपके सम्मुख छुक गया । नम: का एक और अर्थ हो सकता है जो है न + में यानी की मेरा नही .....सब कुछ आपका । आध्यात्म की दृष्टी से इसमें मनुष्य दुसरे मनुष्य के सामने अपने अंहकार को कम कर रहा है।
नमस्ते करते समय में दोनों हाथो को जोड़ कर एक कर दिया जाता है जिसका अर्थ है की इस अभिवादन के बाद दोनों व्यक्ति के दिमाग मिल गए या एक दिशा में हो गये।

हम बड़ों के पैर क्यों छूते है ?
भारत में बड़े बुजुर्गो के पाँव छूकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। ये दरअसल बुजुर्ग, सम्मानित व्यक्ति के द्वारा किए हुए उपकार के प्रतिस्वरुप अपने समर्पण की अभिव्यक्ति होती है। अच्छे भावः से किया हुआ सम्मान के बदले बड़े लोग आशीर्वाद देते है जो एक सकारात्मक ऊर्जा होती है।

आदर के निम्न प्रकार है :
1-प्रत्युथान : किसी के स्वागत में उठ कर खड़े होना
2-नमस्कार : हाथ जोड़ कर सत्कार करना
3-उपसंग्रहण : बड़े, बुजुर्ग, शिक्षक के पाँव छूना 
4-साष्टांग : पाँव, घुटने, पेट, सर और हाथ के बल जमीन पर पुरे लेट कर सम्मान करना 
5-प्रत्याभिवादन : अभिनन्दन का अभिनन्दन से जवाब देना

पर आज कल पश्चिमी संस्कृति के हावी होने के कारण हम नमस्ते ,प्रणाम अदि कहना लगभग भूलते जा रहे हैं अब उनकी जगह "हाय " हेल्लो " गुड मोर्निंग " या "गुड नाईट " जैसे शब्दों ने ले लिया ....जिसके अर्थ और अनर्थ का पता ही नहीं चलता|

 

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Posted Comments
 
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।"
Posted By:  संतोष ठाकुर
 
"om namh shivay..."
Posted By:  krishna
 
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye"
Posted By:  vikaskrishnadas
 
"वास्तु टिप्स बताएँ ? "
Posted By:  VAKEEL TAMRE
 
""jai maa laxmiji""
Posted By:  Tribhuwan Agrasen
 
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है"
Posted By:  ओम प्रकाश तिवारी
 
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