सुन्दरकाण्ड - सुन्दरकाण्ड
भाग - 30

दो0- प्रीति सहित सब भेटे रघुपति करूना पुंज ।
पूँछी कुसल नाथ अब कुसल देखि पद कंज ।। 29 ।।

जामवंत  कह सुनु रघुराया । जा पर नाथ करहु तुम्ह दाया ।।
ताहि सदा सुभ कुसल निरंतर । सुर नर मुनि प्रसन्न ता ऊपर ।।
सोइ बिजई बिनई गुन सागर । तासु सुजसु त्रौलोक उजागर ।।
प्रभु कीं कृपा भयउ सबु काजू ।  जन्म हमार सुफल भा आजू ।।
नाथ पवनसुत कीन्हि जो करनी । सहसहुँ मुख न जाइ सो बरनी ।।
पवनतनय के चरित सुहाए । जामवंत रघुपतिहि सुनाए ।।
सुनत कृपानिधि मन अति भाए । पुनि हनुमान हरषि हियँ लाए ।।
कहहु तात केहि भाँति जानकी । रहति करति रच्छा स्वप्रान की ।।

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